उच्चतर माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थियों में समस्या-समाधान योग्यता का उनके अर्द्धमस्तिष्कीय प्रभुत्व के सन्दर्भ में अध्ययन


Published Date: 06-03-2025 Issue: Vol. 2 No. 3 (2025): March 2025 Published Paper PDF: Download E-Certificate: Download
सारांशः पृथ्वी का सर्वाधिक विलक्षण तथा विचारशील प्राणी होने के कारण मानव को प्रकृति की सर्वोत्तम रचना भी कहा जा सकता है। अपनी मानसिक उच्च क्षमता व चिंतन शक्ति के बल पर इसने न केवल प्रकृति के अन्य सभी जीव-जंतुओं पर शासन किया है बल्कि अपनी सभ्यता व संस्कृति का भी निरंतर विकास किया है। ऐसा माना जाता है कि मनुष्य का जीवन उद्देश्यपूर्ण है किसी न किसी उद्देश्य के लिए मनुष्य का जन्म होता है। किसी का आध्यामिक उद्देश्य है, किसी का भौतिक जीवन को सुखमय बनाने का उद्देश्य है, कोई डॉक्टर बनना चाह रहा है, कोई इंजीनियर, कोई प्रोफेसर तो कोई अभिनेता ...। इस प्रकार हर किसी का लक्ष्य जीवन में कुछ ऐसा करना है जिससे उसका अच्छा नाम हो उसका भौतिक और अंत में आध्यात्मिक जीवन अच्छा हो। व्यक्ति को अपने जीवन में लक्ष्यों की प्राप्ति के दौरान अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जीवन में आने वाली उन समस्याओं का समाधान व्यक्ति आसानी से प्राप्त कर लेता है जो उसके मस्तिष्कीय प्रकृति के अनुरूप होती है। इसीलिए व्यक्ति को किसी भी दिशा में बढ़ने से पहले यह जानना जरुरी है कि हम कौन हैं? और हमें क्या चाहिए? आत्म-जागरूकता हमें अपने जीवन के उद्देश्यों को स्पष्ट करने में मदद करती है और हमें यह जानने का मौका देती है कि हमारी कमजोरियां और ताकतें क्या हैं। हमें अपनी इच्छाओं, आवश्यकताओं और भावनाओं को गहराई से जानना होगा। यह जानना कि हमें किस कार्य से खुशी मिलती है और किस कार्य से नहीं, हमें मजबूत आधार देता है जिससे हम अपनी जीवन की दिशा तय कर सकते हैं।
मुख्य शब्दः समस्या-समाधान, मस्तिष्कीय प्रकृति।