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नाथपंथ का इतिहास और हिन्दी साहित्य जगत पर उसका प्रभाव- एक विश्लेषण

डॉ० विनोद कुमार, नेट, जेआरएफ, पी-एच०डी० (हिन्दी साहित्य), दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर.   DOI: 10.70650/rvimj.2024v1i5006   DOI URL: https://doi.org/10.70650/rvimj.2024v1i5006
Published Date: 08-12-2024 Issue: Vol. 1 No. 5 (2024): December 2024 Published Paper PDF: Download E-Certificate: Download

आरंभिक अनुच्छेद- नाथ पंथ भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह पंथ मुख्य रूप से योग और तंत्र के सिद्धांतों पर आधारित था। नाथ पंथ का इतिहास सदियों पुराना है। इसके प्रभाव में न केवल भारतीय समाज आया बल्कि विशेष रूप से हिंदी साहित्य को भी गहरे तरीके से प्रभावित किया। इस पंथ के महापुरुषों और संतों ने न केवल साधन और योग के माध्यम से आत्मज्ञान का मार्ग प्रशस्त किया अपितु अपने साहित्यिक योगदान से हिन्दी साहित्य जगत में एक नई दिशा दी।


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