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पर्यावरण जागरूकताः एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

डॉ0 मनीषा कुमारी, असिस्टेंट प्रोफेसर, समाजशास्त्र विभाग, एस.डी.जी.डी. महाविद्यालय, बेनीपुर, दरभंगा.   DOI: 10.70650/rvimj.2025v2i5002   DOI URL: https://doi.org/10.70650/rvimj.2025v2i5002
Published Date: 03-05-2025 Issue: Vol. 2 No. 5 (2025): May 2025 Published Paper PDF: Download E-Certificate: Download

आरंभिक अनुच्छेद: पर्यावरण जागरूकता का अर्थ है अपने पर्यावरण की नाजुकता को समझना और इसके संरक्षण का महत्व समझना। पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देना पर्यावरण संरक्षक बनने और अपने बच्चों के लिए उज्जवल भविष्य वनाने में भागीदारी करने का एक आसान तरीका है। पर्यावरण सभी सजीवों और निर्जीवों के रहने और संचालन का परिवेश है। हम इसमें रहते हैं और अपनी आवश्यकताओं के लिए इसका (दुरूपयोग) करते हैं। अपनी कभी न खत्म होने वाली जरूरतों और मांगो को पूरा करने की प्रक्रिया में हम पर्यावरण पर दबाव डालते रहते हैं। लेकिन जब ये दबाव हमारे पर्यावरण की धारण क्षमता को बढ़ा देते हैं तो यह जीवन को और अधिक प्रभावित करते हुए बड़े बदलाव दिखाते हैं। इसलिए मानव जाति के लिए किसी भी विनाशकारी घटना से बचने के लिए पर्यावरण के बारे में जागरूकता पैदा की जानी चाहिए। यह मुद्दा भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में विचाराधीन है और इसलिए हर नागरिक को पर्यावरण क्षरण को रोकने के लिए प्रयास करने चाहिए।


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