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चीन की मैरीटाइम सुरक्षा चिन्ताएंः हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र के सन्दर्भ में

मोहम्मद आकिफ तौफीक, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजकीय महिला महाविद्यालय औराई, भदोही, शोध-छात्र, राजनीति विज्ञान, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी डॉ0 शमीम राईन, शोध निर्देशक, प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, सकलडीहा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, चन्दौली   DOI: 10.70650/rvimj.2025v2i3009   DOI URL: https://doi.org/10.70650/rvimj.2025v2i3009
Published Date: 14-03-2025 Issue: Vol. 2 No. 3 (2025): March 2025 Published Paper PDF: Download E-Certificate: Download

सारांशः हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र अफ्रीका के पूर्वी तट से लेकर पश्चिमी प्रशांत महासागर तक विस्तृत है। अर्थात यह क्षेत्र भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम से लेकर अमेरिका के पश्चिमी तट तक विस्तृत है। मूल रूप से यह शब्द एक मैरीटाइम क्षेत्र को इंगित करता है जिसमें मैरीटाइम सुरक्षा, सहयोग एवं शांति का विचार निहित है। यह शब्द एशिया-प्रशान्त की तुलना में अत्यधिक मैरीटाइम उन्मुख है। यह शब्द इन दो महासागरों की परिधि में स्थित राष्ट्रों की परम्परागत आर्थिक निर्भरता को भी प्रकट करता है। हिन्द-प्रशान्त के उपक्षेत्रों में चीन की मैरीटाइम सुरक्षा चिंताएं भिन्न हैं। जहां पश्चिमी प्रशान्त में चीन अपने संप्रभुतागत मैरीटाइम दावों, मैरीटाइम अधिकारों, मैरीटाइम हितों, मैरीटाइम संसाधनों के स्वामित्व, ताइवान का चीन की मुख्य भूमि में एकीकरण और अमेरिका की अग्रिम नौसैन्य उपस्थित को लेकर चिंतित है। वहीं हिन्द महासागर में चीन की चिंता अपने आर्थिक विकास की गति को स्थायी रखने हेतु ऊर्जा संसाधनों की निर्बाध आपूर्ति एवं निर्यात उन्मुख अर्थव्यवस्था की अबाधित वैश्विक पहुंच को सुनिश्चित करने हेतु नौपरिवहन की स्वतंत्रता अर्थात स्लाक्स की सुरक्षा पर केंद्रित है। क्योंकि चीन का अधिकतर ऊर्जा आयात एवं विनिर्मित वस्तुओं का निर्यात हिन्द महासागर में उसकी नौपरिवहन की स्वतंत्रता अर्थात स्लाक्स की सुरक्षा पर निर्भर है। अतः पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में चीन की मैरीटाइम सुरक्षा रणनीति अमेरीका की उपस्थिति एवं प्रभाव को प्रतिस्थापित अथवा शून्य करना है। वहीं हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन की मैरीटाइम सुरक्षा रणनीति भारत के परम्परागत प्रभाव को कम करके उसे अपने प्रभाव के क्षेत्र में परिवर्तित करना है। अर्थात जहां पस्चिमी प्रशान्त क्षेत्र में चीन एवं अमेरिका के बीच में एक प्रकार की नौसैन्य प्रतिस्पर्धा नज़र आ रही है। वहीं हिन्द महासागर में चीन, भारत के परम्परागत शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में करने एवं उसे अपने प्रभाव के क्षेत्र में बदलने के प्रयास कर रहा है। चीन मोती की माला रणनीति द्वारा भारत को चारों ओर से घेरने का प्रयास कर रहा है। भारत एवं चीन के मध्य स्थल सीमा विवाद एवं उत्तरी हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती नौसैन्य उपस्थिति भारत-चीन सम्बन्धों में एक दुविधा की स्थिति नज़र आती है। इस शोधपत्र में हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र में चीन की मैरीटाइम सुरक्षा चिन्ताओं को चिन्हित करने का प्रयास किया गया है। यह शोध-पत्र चीन की नौसैन्य क्षमता में अभिवृद्धि के कारण हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र में उसके मैरीटाइम व्यवहार की व्याख्या पर केंद्रित है। क्योंकि चीन की आर्थिक शक्ति में वृद्धि के साथ उसकी नौसैन्य क्षमता में अभिवृद्धि के लिए आधुनिकीकरण के प्रयासों में वृद्धि हुई है। हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र में चीन की मैरीटाइम सुरक्षा चिन्ताओं एवं महत्त्वाकांक्षाओं में निरंतरता एवं परिवर्तन के लक्षण प्रकट होते है। प्रस्तुत शोध-पत्र में हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र में चीन की मैरीटाइम सुरक्षा चिंताओं, प्राथमिकताओं, महत्त्वाकांक्षाओं को भी पता लगाने का प्रयास किया गया है।

मुख्य शब्दः मैरीटाइम सुरक्षा, संप्रभुतागत विवाद, मैरीटाइम प्रतिस्पर्धा, मलक्का की दुविधा, सुदूर समुद्र संरक्षण, आर्थिक-संवृद्धि, न्यूनतम निवारण क्षमता, शक्ति-प्रदर्शन, नौपरिवहन की स्वतंत्रता, नील जल सेना, अग्रिम उपस्थिति, भूभागीय एकीकरण, भारत केन्द्रित, परम्परागत प्रभाव क्षेत्र, मोती की माला।


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