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आंतरिक सुरक्षा और नक्सलवाद

डॉ. कंचन कुमारी, पी-एच0 डी0, राजनीति विज्ञान विभाग, बी0एन0एम0यू0, मधेपुरा.   DOI: 10.70650/rvimj.2025v2i4006   DOI URL: https://doi.org/10.70650/rvimj.2025v2i4006
Published Date: 10-04-2025 Issue: Vol. 2 No. 4 (2025): April 2025 Published Paper PDF: Download E-Certificate: Download

सारांश: नक्सलवाद या माओवाद का भारतीय संदर्भ में एक ही अर्थ है। भारतीय सरकार द्वारा उग्रवादी वामपंथियों को ही नक्सलवाद की नक्सलवादियों की संज्ञा दी गई है। 80 के दशक के मध्य में कुछ संगठनों का पिछले इलाकों में गठन किया गया। जैसे- आंध्र प्रदेश में पीपुल वार ग्रुप, बिहार, झारखंड एवं छत्तीसगढ़ में माओवादी समन्वय समिति। 90 के दशक में माओवादी गतिविधियों का विस्तार तेजी से अल्पविकसित एवं जनजाति क्षेत्रों में हुआ। सितंबर 2004 में दो संगठनों पी0डब्ल्यू0जी0 एवं एम०सी०सी० ने आपस में विलय कर लिया और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी नाम से नए संगठन को जन्म दिया गया। परिणाम स्वरुप यह राज्यों के लिए कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गया। जिसके कारण देश में नक्सलवाद को बढ़ावा मिला दुर्भाग्य से वे सभी कारण आज भी मौजूद हैं। समाज में व्याप्त वर्ग भेद के साथ गरीबी एवं बेरोजगारी भी एक प्रमुख कारण है।

मुख्य-शब्दःआंतरिक सुरक्षा, नक्सलवाद,माओवाद, सरकार, चुनौती।


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