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दलितों की राजनीतिक चेतना

डॉ. शैलेन्द्र कुमार,पीएच०डी०, राजनीति विज्ञान विभाग, भू०ना०मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा.   DOI: 10.70650/rvimj.2025v2i4003   DOI URL: https://doi.org/10.70650/rvimj.2025v2i4003
Published Date: 06-04-2025 Issue: Vol. 2 No. 4 (2025): April 2025 Published Paper PDF: Download E-Certificate: Download

सारांश: दलितों की राजनीतिक चेतना दलित राजनीति, दलित आंदोलन का एक राजनैतिक स्वरूप हैं। दलितों की राजनीतिक चेतना का मूल प्रेरक दलित चेतना है। दलित लेखकों के लिए दलित चेतना जाति प्रथा अपने वजूद और आजादी की एक लंबी लड़ाई की ओर इशारा करती है। वहीं दूसरी और दलित समाज शास्त्री और राजनीतिक शास्त्री की दृष्टि से चेतना पुरातन रूप से दलितों में रही है। इतिहास गवाह है कि जाति व्यवस्था की स्थापना और उसका कायम रहना तथा कथित उच्च जातियों के लिए ही फायदेमंद रहा है। समाज में दलितों के पैरों में इतनी भारी बोझ डाल दी कि धर्म परिवर्तन के बावजूद उनकी मुक्ति का मार्ग अवरुद्ध ही रहा है। इसी तरह देश व समाज पर सतही नजर रखने वाला भी यह आसानी से समझ सकता है कि जैसे-जैसे दलित चेतना में परिवर्तन हुई वैसे ही राजनीतिक शक्ति बदलती जा रही है। परन्तु विकसित करने के लिए एक विमर्श की अवश्यकता है।

शब्द कुंजी:सामाजिक, सांस्कृतिक, विचारधारा, समावेश, उपेक्षा, कांग्रेस, जाति व्यवस्था।


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