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दिनकर के विशेषण विधान का साहित्यिक महत्व

डॉ0 संजीव रतन गुप्ता, अस्सिटेंट प्रोफेसर, हिन्दी, शक्ति स्मारक संस्थान, बलरामपुर, उ.प्र.   DOI: 10.70650/rvimj.2025v2i4002   DOI URL: https://doi.org/10.70650/rvimj.2025v2i4002
Published Date: 05-04-2025 Issue: Vol. 2 No. 4 (2025): April 2025 Published Paper PDF: Download E-Certificate: Download

सारांशः हिंदी साहित्य में रामधारी सिंह ‘दिनकर‘ का नाम एक तेजस्वी कवि के रूप में लिया जाता है, जिनकी रचनाओं में ओज, भावना और राष्ट्रप्रेम का गहन समन्वय दिखाई देता है। दिनकर की भाषा जहाँ एक ओर संस्कृतनिष्ठ है, वहीं दूसरी ओर उसमें जनसामान्य की बोली-बानी की मिठास भी झलकती है। उनकी काव्य-शैली में विशेषणों का प्रयोग अत्यंत प्रभावी रूप में हुआ है, जो न केवल वर्णन को सजीव बनाते हैं, बल्कि भावनाओं की तीव्रता को भी गहराई प्रदान करते हैं। विशेषण विधान, किसी काव्य में भावात्मक चित्रण और सौंदर्यबोध को विस्तार देने का प्रमुख माध्यम होता है। दिनकर ने अपने काव्य में विशेषणों के माध्यम से विचार, चरित्र और श्य का ऐसा चित्रण प्रस्तुत किया है, जो पाठक के मन-मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव छोड़ता है। उनके वीर रस प्रधान काव्य, जैसे रश्मिरथी में ‘प्रखर‘, ‘तेजस्वी‘, ‘सजल‘, ‘वज्र-संग्राम‘ जैसे विशेषणों का प्रयोग पात्रों की मानसिकता, पराक्रम और विचारधारा को सजीव कर देता है। इसी प्रकार उर्वशी में श्रृंगार और करुण रस से युक्त विशेषण पाठक को एक सूक्ष्म भावलोक की यात्रा पर ले जाते हैं। दिनकर के विशेषण न केवल शब्द-शक्ति का विस्तार करते हैं, बल्कि सामाजिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चेतना को भी आकार देते हैं। उनके द्वारा प्रयुक्त विशेषण, यथार्थ और कल्पना के मध्य सेतु का कार्य करते हैं, जिससे उनकी कविताएँ न केवल भावनात्मक रूप से समृद्ध होती हैं, बल्कि विचारधारा के स्तर पर भी पाठक को उद्वेलित करती हैं। दिनकर के विशेषण विधान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह वर्णनात्मकता को केवल सजावट के रूप में नहीं, बल्कि अर्थगर्भिता और संप्रेषणीयता को प्रबल करने के लिए प्रयोग करते हैं। उनके विशेषणों में वैचारिक शक्ति, भावात्मक तीव्रता और भाषिक सौंदर्य का अद्वितीय समन्वय दिखाई देता है। इस प्रकार, दिनकर के विशेषण विधान का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल उनके काव्य को विशिष्ट बनाता है, बल्कि साहित्यिक सौंदर्य, भावनात्मक प्रभाव और भाषिक समृद्धि की दृष्टि से भी अत्यंत मूल्यवान सिद्ध होता है।

मुख्य-शब्दःदिनकर, विशेषण विधान, काव्य सौंदर्य, रश्मिरथी, उर्वशी, भावाभिव्यक्ति, वीर रस, श्रृंगार रस, भाषिक सौंदर्य, राष्ट्रकवि।


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