भारतीय लोकतंत्र में क्षेत्रीय दलों की भूमिकाः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन


Published Date: 16-04-2025 Issue: Vol. 2 No. 4 (2025): April 2025 Published Paper PDF: Download E-Certificate: Download
सारांश: भारतीय लोकतंत्र एक विविधतापूर्ण और बहुपक्षीय प्रणाली है, जिसमें क्षेत्रीय दलों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में प्रारंभिक दशकों तक राष्ट्रीय दलों का प्रभुत्व रहा, विशेषकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का। किंतु 1967 के आम चुनावों के बाद क्षेत्रीय दलों का उदय तेजी से हुआ और उन्होंने विभिन्न राज्यों में सशक्त राजनीतिक शक्ति के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। क्षेत्रीय दल न केवल क्षेत्र विशेष की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आकांक्षाओं के प्रतिनिधि बनकर उभरे हैं, बल्कि उन्होंने केंद्र की राजनीति में भी निर्णायक भूमिका निभाई है। जैसे-जैसे गठबंधन सरकारों का युग आया, क्षेत्रीय दलों की प्रभावशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। यूपीए और एनडीए जैसे गठबंधनों में इन दलों की भागीदारी ने राष्ट्रीय नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन को नई दिशा दी। इन दलों ने सामाजिक न्याय, पिछड़े वर्गों की राजनीति, और क्षेत्रीय अस्मिता को मुख्यधारा में लाने का कार्य किया है। दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक तथा महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों को उन्होंने अपने एजेंडे में शामिल कर लोकतंत्र की समावेशी प्रकृति को बल प्रदान किया है। इसके साथ ही, क्षेत्रीय दलों ने प्रशासनिक विकेंद्रीकरण और संघीय ढांचे को मजबूत करने में भी सहयोग दिया है। हालांकि, इन दलों पर कई आलोचनाएँ भी की जाती हैं, जैसेकृपरिवारवाद, भ्रष्टाचार, जातिवादी राजनीति, और अवसरवादिता। साथ ही, इनकी अत्यधिक क्षेत्रीयता कभी-कभी राष्ट्रीय एकता और नीति-निर्माण में बाधा भी उत्पन्न करती है। वर्तमान में केंद्र में सशक्त बहुमत वाली सरकार होने के बावजूद कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों की पकड़ बनी हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय लोकतंत्र में इनकी भूमिका स्थायी और आवश्यक है। इस अध्ययन के माध्यम से यह निष्कर्ष निकलता है कि क्षेत्रीय दल भारतीय लोकतंत्र के संघीय ढांचे का एक अनिवार्य घटक हैं। यदि इनकी कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और लोकतांत्रिक बनाया जाए, तो ये भारतीय लोकतंत्र को और भी समृद्ध बना सकते हैं।
मुख्य-शब्द: भारतीय लोकतंत्र, क्षेत्रीय दल, सामाजिक न्याय, गठबंधन सरकार, संघवाद, राजनीतिक विविधता, जाति राजनीति, क्षेत्रीय।